Sunday, May 9, 2021

gati hanumanta.

 जाकी गति है हनुमान की ।

ताके मन मह बसत हैं,
श्री राम लखन अरु जानकी ॥

1. हनुमत कृपा तुम्हारी होवे,
   फिकर नहीं यमबान की ।

2. मेरे उर के बंधन काटे,
   रक्षा की निजमान की ।

3. भवसागर में उलझी तूने,
   हर मुश्किल आसान की ।

4. सच्चा मय हो जीवन सारा,
   दो शक्ति गुणगान की ।

5. मेरे भीतर रमे राम की,
   तुनें ही पहचान की ।

6. मैं तेरी बहना तू मेरा दादा ,
   लाज रखो इस आन की ।

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