यमुना तट को, वंशी वट को, मन के हठ को समझाओगे कैसे...
राधा के नैनों के नीर को मीरा की पीर को धीर धराओगे कैसे...
कान्हा के नाम का प्रेम पीयूष पीया है जिया है यहाँ सबने...
'ऊधो' ये तो बता दो कि
प्रेम के रंग पे ज्ञान का रंग चढ़ाओगे कैसे..!!
By Madhyam saxena.
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