Tuesday, May 10, 2022

Brahmanand.

 जो भजे हरि को सदा, सोही परम पद पावेगा |


देह के माला, तिलक और छाप, नहीं किस काम के,

प्रेम भक्ति बिना नहीं नाथ के मन भावे |


दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को,

ख़ाक को गुरु के कदम की, तो प्रभु मिल जायेगा |


छोड़ दुनिए के मज़े सब, बैठ कर एकांत में,

ध्यान धर हरि का, चरण का, फिर जनम नही आयेगा |


द्रिड भरोसा मन मे करके, जो जपे हरि नाम को,

कहता है ब्रह्मानंद, बीच समाएगा |


No comments: