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Tuesday, April 2, 2024
Hand.
EATING WITH YOUR HAND...
The ritual of eating with the hands in India is very popular even out of India amongst Indian descendants.
This is actually a "RITUAL" using what we call as "Mudra"
The Mudra is a symbolic or ritual gesture or pose in Hinduism. This involves hands and fingers in a certain gesture used for multiple purposes such as good health/control, Balance, control of energy and even communication such as in dance forms like Bharathanathyam and kathak.
So when we eat with our hands we form a Mudra with which symbolizes humility and grace of being humble.
According to the Vedas, the hand is considered to be a very important part of the body. In Ayurveda, we say that each finger of the hand consists of an element, that being: Agni (fire) , Jal (water) , Vayu (wind) , Prithvi (Earth) & Aakash (space).
Hence it is believed that when the fingers consisting of the 5 elements come into contact with the food entering the mouth, it benefits the body and health and increases the value of the food.
All said and done I can eat dosa with spoon knife and fork.
Monday, April 1, 2024
karna.
कर्ण की कहानी” के बोल अर्थात् लिरिक्स पढ़ें हिंदी में। इस कविता में महाभारत के दानवीर योद्धा कर्ण की कथा को बताया गया है, इस कविता के रचयिता अभी मुंडे है। पढ़ें यह अद्धभुत महाभारत कविता हिंदी मे-
पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से
तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै
सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै
आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै
कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै
इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै
आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये
भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे
बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे
काबिल दिखाया बस लोगो को ऊँची गोत्र के
सोने को पिघला कर डाला शोन तेरे कंठ में
नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने
यही था गुनाह तेरा,तु सारथी का अंश था
तो क्यो छिपे मेरे पीछे ,मै भी उसी का वंश था
ऊँच नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था
वीरो की उसकी सूची में,अर्जुन के सिवा कौन था
माना था माधव को वीर,तो क्यो डरा एकलव्य से
माँग के अंगूठा क्यों जताया पार्थ भव्य है
रथ पे सजाया जिसने क्रष्ण हनुमान को
योद्धाओ के युद्ध में लडाया भगवान को
नन्दलाल तेरी ढाल पीछे अंजनेय थे
नीयती कठोर थी जो दोनो वंदनीय थे
ऊँचे ऊँचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का
खुद से ही अंजान मै ना घर का ना घाट का
सोने सा था तन मेरा,अभेद्य मेरा अंग था
कर्ण का कुंडल चमका लाल नीले रंग का
इतिहास साक्ष्य है योद्धा मै निपूण था
बस एक मजबूरी थी,मै वचनो का शौकीन था
अगर ना दिया होता वचन,वो मैने कुंती माता को
पांडवो के खून से,मै धोता अपने हाथ को
साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का
गंगा माँ का लाडला मै खामखां बदनाम था
कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा
जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा
भास्कर पिता मेरे ,हर किरण मेरा स्वर्ण है
वन में अशोक मै,तु तो खाली पर्ण है
कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,मेरा भी लहू जीर्ण है
देख छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कर्ण की कहानी (Kahani Karn Ki) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कहानी कर्ण की (Mahabharata Poem) रोमन में–
pāṃḍavo ko tuma rakho, mai kauravo kī bhīḍa se
tilaka śikasta ke bīca meṃ jo ṭūṭe nā vo rīḍa़ mai
sūraja kā aṃśa ho ke phira bhī hu~ achūta mai
āryavrata ko jīta le aisā hu~ sūta pūta mai
kuṃtī putra hu~ magara na hu~ usī ko priya mai
iṃdra māṃge bhīkha jisase aisā hu~ kṣatriya mai
āo maiṃ batāū~ mahābhārata ke sāre pātra ye
bhole kī sārī līlā thī kiśana ke hātha sūtra the
balaśālī batāyā jise sāre rājaputra the
kābila dikhāyā basa logo ko ū~cī gotra ke
sone ko pighalā kara ḍālā śona tere kaṃṭha meṃ
nīcī jātī ho ke kiyā veda kā paṭhaṃtu ne
yahī thā gunāha terā,tu sārathī kā aṃśa thā
to kyo chipe mere pīche ,mai bhī usī kā vaṃśa thā
ū~ca nīca kī ye jaḍa़ vo ahaṃkārī droṇa thā
vīro kī usakī sūcī meṃ,arjuna ke sivā kauna thā
mānā thā mādhava ko vīra,to kyo ḍarā ekalavya se
mā~ga ke aṃgūṭhā kyoṃ jatāyā pārtha bhavya hai
ratha pe sajāyā jisane kraṣṇa hanumāna ko
yoddhāo ke yuddha meṃ laḍāyā bhagavāna ko
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धर्म
कर्ण की कहानी – Karn Ki Kahani Lyrics in Hindi
सन्दीप शाहMay 11, 20230 CommentsAbhi Munde,Krishna,Mahabharat
“कर्ण की कहानी” के बोल अर्थात् लिरिक्स पढ़ें हिंदी में। इस कविता में महाभारत के दानवीर योद्धा कर्ण की कथा को बताया गया है, इस कविता के रचयिता अभी मुंडे है। पढ़ें यह अद्धभुत महाभारत कविता हिंदी मे-
पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से
तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै
सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै
आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै
कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै
इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै
आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये
भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे
बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे
काबिल दिखाया बस लोगो को ऊँची गोत्र के
सोने को पिघला कर डाला शोन तेरे कंठ में
नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने
यही था गुनाह तेरा,तु सारथी का अंश था
तो क्यो छिपे मेरे पीछे ,मै भी उसी का वंश था
ऊँच नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था
वीरो की उसकी सूची में,अर्जुन के सिवा कौन था
माना था माधव को वीर,तो क्यो डरा एकलव्य से
माँग के अंगूठा क्यों जताया पार्थ भव्य है
रथ पे सजाया जिसने क्रष्ण हनुमान को
योद्धाओ के युद्ध में लडाया भगवान को
नन्दलाल तेरी ढाल पीछे अंजनेय थे
नीयती कठोर थी जो दोनो वंदनीय थे
ऊँचे ऊँचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का
खुद से ही अंजान मै ना घर का ना घाट का
सोने सा था तन मेरा,अभेद्य मेरा अंग था
कर्ण का कुंडल चमका लाल नीले रंग का
इतिहास साक्ष्य है योद्धा मै निपूण था
बस एक मजबूरी थी,मै वचनो का शौकीन था
अगर ना दिया होता वचन,वो मैने कुंती माता को
पांडवो के खून से,मै धोता अपने हाथ को
साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का
गंगा माँ का लाडला मै खामखां बदनाम था
कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा
जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा
भास्कर पिता मेरे ,हर किरण मेरा स्वर्ण है
वन में अशोक मै,तु तो खाली पर्ण है
कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,मेरा भी लहू जीर्ण है
देख छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कर्ण की कहानी (Kahani Karn Ki) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कहानी कर्ण की (Mahabharata Poem) रोमन में–
Karn Ki Kahani Lyrics
pāṃḍavo ko tuma rakho, mai kauravo kī bhīḍa se
tilaka śikasta ke bīca meṃ jo ṭūṭe nā vo rīḍa़ mai
sūraja kā aṃśa ho ke phira bhī hu~ achūta mai
āryavrata ko jīta le aisā hu~ sūta pūta mai
kuṃtī putra hu~ magara na hu~ usī ko priya mai
iṃdra māṃge bhīkha jisase aisā hu~ kṣatriya mai
āo maiṃ batāū~ mahābhārata ke sāre pātra ye
bhole kī sārī līlā thī kiśana ke hātha sūtra the
balaśālī batāyā jise sāre rājaputra the
kābila dikhāyā basa logo ko ū~cī gotra ke
sone ko pighalā kara ḍālā śona tere kaṃṭha meṃ
nīcī jātī ho ke kiyā veda kā paṭhaṃtu ne
yahī thā gunāha terā,tu sārathī kā aṃśa thā
to kyo chipe mere pīche ,mai bhī usī kā vaṃśa thā
ū~ca nīca kī ye jaḍa़ vo ahaṃkārī droṇa thā
vīro kī usakī sūcī meṃ,arjuna ke sivā kauna thā
mānā thā mādhava ko vīra,to kyo ḍarā ekalavya se
mā~ga ke aṃgūṭhā kyoṃ jatāyā pārtha bhavya hai
ratha pe sajāyā jisane kraṣṇa hanumāna ko
yoddhāo ke yuddha meṃ laḍāyā bhagavāna ko
nandalāla terī ḍhāla pīche aṃjaneya the
nīyatī kaṭhora thī jo dono vaṃdanīya the
ū~ce ū~ce logo meṃ mai ṭhaharā choṭī jāta kā
khuda se hī aṃjāna mai nā ghara kā nā ghāṭa kā
sone sā thā tana merā,abhedya merā aṃga thā
karṇa kā kuṃḍala camakā lāla nīle raṃga kā
itihāsa sākṣya hai yoddhā mai nipūṇa thā
basa eka majabūrī thī,mai vacano kā śaukīna thā
agara nā diyā hotā vacana,vo maine kuṃtī mātā ko
pāṃḍavo ke khūna se,mai dhotā apane hātha ko
sāma dāma daṃḍa bheda sūtra mere nāma kā
gaṃgā mā~ kā lāḍalā mai khāmakhāṃ badanāma thā
kauravo se ho ke bhī koī karṇa ko nā bhūlegā
jānā jisane merā dukha vo karṇa karṇa bolegā
bhāskara pitā mere ,hara kiraṇa merā svarṇa hai
vana meṃ aśoka mai,tu to khālī parṇa hai
बालकृष्ण की आरती (Balkrishna Ki Aarti) न केवल परम हितकारी है और हृदय में भक्ति का उद्रेक करने वाली है, बल्कि इहलोक के सारे कष्टों का समूल नाश करने में भी पूर्णतः समर्थ है। बालक कन्हैया का दिव्य स्वरूप तो देवताओं को भी अति-प्रिय है। जो भी उनके इस रूप का चिंतन-मनन करता है और उनकी बाल-लीलाओं का श्रवण करता है, उसका अन्तःकरण भक्तिभाव के रस से पूर्ण हो जाता है। इसका गायन जीवन को कृष्ण-भक्ति के माधुर्य से भर देता है। भगवान तो भक्त-वत्सल हैं। उनका बाल-रूप तो और भी निराला है। उनके इस रूप को उर में धारण कर पढ़ें भगवान बालकृष्णजी की आरती–
आरती बालकृष्ण की कीजे।
अपना जनम सफल करि लीजे॥
श्री यशोदा का परम दुलारा।
बाबा की अखियन का तारा॥
गोपिन के प्राणन का प्यारा।
इन पर प्राण निछावर कीजे॥
आरती बालकृष्ण की कीजे…
बलदाऊ का छोटा भैया।
कान्हा कहि कहि बोलत मैया॥
परम मुदित मन लेत वलैया।
यह छबि नैनन में भरि लीजे॥
आरती बालकृष्ण की कीजे…
श्री राधावर सुघर कन्हैया।
ब्रज जन का नवनीत खवैया॥
देखत ही मन नयन चुरैया।
अपना सरबस इनको दीजे॥
आरती बालकृष्ण की कीजे…
तोतरि बोलनि मधुर सुहावे।
सखन मधुर खेलत सुख पावे॥
सोई सुकृति जो इनको ध्यावे।
अब इनको अपनो करि लीजे॥
आरती बालकृष्ण की कीजे…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह आरती रोमन में–
āratī bālakṛṣṇa kī kīje।
apanā janama saphala kari līje॥
śrī yaśodā kā parama dulārā।
bābā kī akhiyana kā tārā॥
gopina ke prāṇana kā pyārā।
ina para prāṇa nichāvara kīje॥
āratī bālakṛṣṇa kī kīje…
baladāū kā choṭā bhaiyā।
kānhā kahi kahi bolata maiyā॥
parama mudita mana leta valaiyā।
yaha chabi nainana meṃ bhari līje॥
āratī bālakṛṣṇa kī kīje…
śrī rādhāvara sughara kanhaiyā।
braja jana kā navanīta khavaiyā॥
dekhata hī mana nayana curaiyā।
apanā sarabasa inako dīje॥
āratī bālakṛṣṇa kī kīje…
totari bolani madhura suhāve।
sakhana madhura khelata sukha pāve॥
soī sukṛti jo inako dhyāve।
aba inako apano kari līje॥
āratī bālakṛṣṇa kī kīje…
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● कृष्ण अमृतवाणी ● प्रेम मंदिर, वृंदावन ● बालकृष्ण की आरती ● दामोदर अष्टकम ● संतान गोपाल स्तोत्र ● संतान गोपाल मंत्र ● जन्माष्टमी पूजा और विधि ● लड्डू गोपाल की आरती ● गिरिराज की आरती ● गोपाल चालीसा ● कृष्ण चालीसा ● राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी ● श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा श्याम ● बजाओ राधा नाम की ताली ● अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो ● श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम ● किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ● छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल ● गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो ● मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है ● मेरे बांके बिहारी लाल ● ओ कान्हा अब तो मुरली की ● भर दे रे श्याम झोली भरदे ● मैं हूं शरण में तेरी संसार के रचैया ● कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे ● श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ● कृष्ण है विस्तार यदि तो ● राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी ● गर्भ गीता ● द्वारकाधीश की आरती ● मुकुंदा मुकुंदा कृष्णा मुकुंदा मुकुंदा ● सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं ● लल्ला की सुन के मैं आई ● नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ● मेरे कान्हा ● राधे किशोरी दया करो ● कृष्णा मनमोहना मोरे कान्हा मोरे कृष्णा ● मधुराष्टकम् ● जय जनार्दना कृष्णा राधिकापते ● भज मन राधे
Sunday, March 31, 2024
P s abm.
इन दिनों अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के उद्घाटन और उसमें राम लला की मुर्ती की चर्चा हर तरफ हो रही है. इस बीच सोशल मीडिया पर अभि मुंडे (Psycho Shayar) (अभिजीत बालकृष्ण मुंडे) की एक कविता “राम” वायरल हो गई है. अयोध्या के राम मंदिर में होने जा रहे है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले आइ इस कविता ने रातों-रात सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और इसे लोग अयोध्या का बुलावा भी बता रहे हैं. क्योंकि खुद कवि अंत में कहते हैं कि, “… चलिए तो फिर मिलते हैं हमें भी अयोध्या आना है.”
तो आइए आपको भी छोड़ चलते हैं साइको शायर की “राम” कविता के साथ. आप भी सुनिए और पढ़िए और बताइए क्या कवि ने राम के चरित्र के साथ न्याय किया है और क्या राम के चरित्र को सही ढंग से बतला पाएं हैं.
राम साइको शायर की वायरल कविता – Ram Psycho Shayar Abhi Munde Viral Poem on Ram
हाथ काट कर रख दूंगा
ये नाम समझ आ जाए तो
कितनी दिक्कत होगी पता है
राम समझ आ जाए तो
राम राम तो कह लोगे पर
राम सा दुख भी सहना होगा
पहली चुनौती ये होगी के
मर्यादा में रहना होगा
और मर्यादा में रहना मतलब कुछ खास नहीं कर जाना है..
बस..
बस त्याग को गले लगाना है और
अहंकार जलाना है
अब अपने रामलला के खातिर इतना ना कर पाओगे
अरे शबरी का जूठा खाओगे तो पुरुषोत्तम कहलाओगे
काम क्रोध के भीतर रहकर तुमको शीतल बनाना होगा
बुद्ध भी जिसकी छांव में बैठे वैसा पीपल बनाना होगा
बनना होगा ये सब कुछ और वो भी शून्य में रहकर प्यारे
तब ही तुमको पता चलेगा..
थे कितने अद्भुत राम हमारे
सोच रहे हो कौन हूं मै,?
चलो.. बता ही देता हूं
तुमने ही तो नाम दिया था
मैं..
पागल कहलाता हूं
नया नया हूं यहां पे तो ना पहले किसी को देखा है
वैसे तो हूं त्रेता से.. मुझे कृ..
किसने कलयुग भेजा है
भई बात वहां तक फैल गई है
की यहां कुछ तो मंगल होने को है
के भरत से भारत हुए राज में
सुना है राम जी आने को हैं
बड़े भाग्यशाली हो तुम सब
नहीं, वहां पे सब यहीं कहते है
के हम तो रामराज में रहते थे..
पर इन सब में राम रहते है
यानी..
तुम सब में राम का अंश छुपा है.?
नहीं मतलब वो..
तुम में आते है रहने?
सच है या फिर गलत खबर?
गर सच ही है तो क्या कहने
तो सब को राम पता ही होगा
घर के बड़ों ने बताया होगा..
तो बताओ..
बताओ फिर कि क्या है राम
बताओ फिर कि क्या है राम..
बताओ…
अरे पता है तुमको क्या है राम..?
या बस हाथ धनुष तर्कश में बाण..
या बन में जिन्होंने किया गुजारा
या फिर कैसे रावण मारा
लक्ष्मण जिनको कहते भैया
जिनकी पत्नी सीता मैया
फिर ये तो हो गई वो ही कहानी
एक था राजा एक थी रानी
क्या सच में तुमको राम पता है
या वो भी आकर हम बताएं?
बड़े दिनों से हूं यहां पर..
सबकुछ देख रहा हूं कबसे
प्रभु से मिलने आया था मै..
उन्हें छोड़ कर मिला हूं सब से
एक बात कहूं गर बुरा ना मानो
नहीं तुम तुरंत ही क्रोधित हो जाते हो
पूरी बात तो सुनते भी नहीं..
सीधे घर पर आ जाते हो
ये तुम लोगों के..
नाम जपो में..
पहले सा आराम नहीं
ये तुम लोगों के.. नाम जपो में..पहले सा आराम नहीं
इस जबरदस्ती के जय श्री राम में सब कुछ है..
बस राम नहीं!
ये राजनीति का दाया बायां जितना मर्ज़ी खेलो तुम
( दाया बायां.. अरे दाया बायां..?
ये तुम्हारी वर्तमान प्रादेशिक भाषा में क्या कहते है उसे..?
हां..
वो..
लेफ्ट एंड राइट)
ये राजनीति का दाया बायां जितना मर्ज़ी खेलो तुम
चेतावनी को लेकिन मेरी अपने जहन में डालो तुम
निजी स्वार्थ के खातिर गर कोई राम नाम को गाता हो
तो खबरदार गर जुर्रत की..
और मेरे राम को बांटा तो
भारत भू का कवि हूं मैं..
तभी निडर हो कहता हूं
राम है मेरी हर रचना में
मै बजरंग में रहता हूं
भारत की नीव है कविताएं
और सत्य हमारी बातों में
तभी कलम हमारी तीखी और..
साहित्य..
हमारे हाथों में!
तो सोच समझ कर राम कहो तुम
ये बस आतिश का नारा नहीं
जब तक राम हृदय में नहीं..
तुम ने राम पुकारा नहीं
राम- कृष्ण की प्रतिभा पर पहले भी खड़े सवाल हुए
ये लंका और ये कुरुक्षेत्र..
यूं ही नहीं थे लाल हुए
अरे प्रसन्न हंसना भी है और पल पल रोना भी है राम
सब कुछ पाना भी है और सब पा कर खोना भी है राम
ब्रम्हा जी के कुल से होकर जो जंगल में सोए हो
जो अपनी जीत का हर्ष छोड़ रावण की मौत पे रोए हो
शिव जी जिनकी सेवा खातिर मारूत रूप में आ जाए
शेषनाग खुद लक्ष्मण बनकर जिनके रक्षक हो जाए
और तुम लोभ क्रोध अहंकार छल कपट
सीने से लगा कर सो जाओगे?
तो कैसे भक्त बनोगे उनके?
कैसे राम समझ पाओगे?
अघोर क्या है पता नहीं और शिव जी का वरदान चाहिए
ब्रम्हचर्य का इल्म नहीं.. इन्हे भक्त स्वरूप हनुमान चाहिए
भगवा क्या है क्या ही पता लहराना सब को होता है
पर भगवा क्या है वो जाने
जो भगवा ओढ़ के सोता है
राम से मिलना..
राम से मिलना..
राम से मिलना है ना तुमको..?
निश्चित मंदिर जाना होगा!
पर उस से पहले भीतर जा संग अपने राम को लाना होगा
जय सिया राम
और हां..
अवधपुरी का उत्सव है
कोई कसर नहीं..
सब खूब मनाना
मेरे प्रभु है आने वाले
रथ को उनके
खूब सजाना
वो..
द्वापर में कोई राह तके है
मुझे उनको लेने जाना है
चलिए तो फिर मिलते है,
हमें भी अयोध्या आना है.
Saturday, March 30, 2024
5th decad.
Sunday, March 24, 2024
Monday, March 18, 2024
Divyam
Human beings are born in this world, which is not permanent, but the magnum opus of Acharyas is considered as ‘Aprakrutham’ or ‘Divyam’ or permanent. How can it be? Velukkudi Sri Krishnan Swamy said in a discourse that the divine works of Acharyas show us the way to eternal bliss, which is permanent; hence, they are called ‘Aprakrutham’.
Sri Koorathazhwan, an ardent disciple of Sri Ramanuja, in his work ‘Athi Manusha Sthavam’, praises the superhuman deeds of God.
God is the custodian of the entire universe. How could He beg King Mahabali for just three feet of space?
Sri Rama says ‘Aatmaanam Maanusham Manye Ramam Dasarathathmajam‘ — ‘I am the son of Dasaratha’. But His deeds were not so.
While everyone in the forest knew Ravana abducting Sri Sita, how did Rama not know and was in search of Her? The bird Jatayu didn’t know karma, jnana or bhakti yoga. How did the Lord grant moksha to Jatayu? When Rama’s arrow can pierce through seven trees and hit Vali, would it take seven days for Rama to fight with Ravana? Will anyone let his arch-rival go off granting a chance? Why did Rama ask Ravana to come the next day?
As a young child, Sri Krishna feigned to be tied up by the rope tethered with a mortar by Yasodha. How could a seven-year-old boy lift the Govardhana hills?
Sri Koorathazhwan says whatever God undertakes will be unique, and the Acharya prays and pays his obeisance.