Monday, April 1, 2024

karna.



कर्ण की कहानी” के बोल अर्थात् लिरिक्स पढ़ें हिंदी में। इस कविता में महाभारत के दानवीर योद्धा कर्ण की कथा को बताया गया है, इस कविता के रचयिता अभी मुंडे है। पढ़ें यह अद्धभुत महाभारत कविता हिंदी मे-


पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से

तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै

सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै

आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै


कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै

इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै

आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये

भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे


बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे

काबिल दिखाया बस लोगो को ऊँची गोत्र के

सोने को पिघला कर डाला शोन तेरे कंठ में

नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने


यही था गुनाह तेरा,तु सारथी का अंश था

तो क्यो छिपे मेरे पीछे ,मै भी उसी का वंश था

ऊँच नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था

वीरो की उसकी सूची में,अर्जुन के सिवा कौन था


माना था माधव को वीर,तो क्यो डरा एकलव्य से

माँग के अंगूठा क्यों जताया पार्थ भव्य है

रथ पे सजाया जिसने क्रष्ण हनुमान को

योद्धाओ के युद्ध में लडाया भगवान को


नन्दलाल तेरी ढाल पीछे अंजनेय थे

नीयती कठोर थी जो दोनो वंदनीय थे

ऊँचे ऊँचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का

खुद से ही अंजान मै ना घर का ना घाट का


सोने सा था तन मेरा,अभेद्य मेरा अंग था

कर्ण का कुंडल चमका लाल नीले रंग का

इतिहास साक्ष्य है योद्धा मै निपूण था

बस एक मजबूरी थी,मै वचनो का शौकीन था


अगर ना दिया होता वचन,वो मैने कुंती माता को

पांडवो के खून से,मै धोता अपने हाथ को

साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का

गंगा माँ का लाडला मै खामखां बदनाम था


कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा

जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा

भास्कर पिता मेरे ,हर किरण मेरा स्वर्ण है

वन में अशोक मै,तु तो खाली पर्ण है


कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,मेरा भी लहू जीर्ण है

देख छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है


विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कर्ण की कहानी (Kahani Karn Ki) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कहानी कर्ण की (Mahabharata Poem) रोमन में–


pāṃḍavo ko tuma rakho, mai kauravo kī bhīḍa se

tilaka śikasta ke bīca meṃ jo ṭūṭe nā vo rīḍa़ mai

sūraja kā aṃśa ho ke phira bhī hu~ achūta mai

āryavrata ko jīta le aisā hu~ sūta pūta mai

kuṃtī putra hu~ magara na hu~ usī ko priya mai

iṃdra māṃge bhīkha jisase aisā hu~ kṣatriya mai

āo maiṃ batāū~ mahābhārata ke sāre pātra ye

bhole kī sārī līlā thī kiśana ke hātha sūtra the


balaśālī batāyā jise sāre rājaputra the

kābila dikhāyā basa logo ko ū~cī gotra ke

sone ko pighalā kara ḍālā śona tere kaṃṭha meṃ

nīcī jātī ho ke kiyā veda kā paṭhaṃtu ne


yahī thā gunāha terā,tu sārathī kā aṃśa thā

to kyo chipe mere pīche ,mai bhī usī kā vaṃśa thā

ū~ca nīca kī ye jaḍa़ vo ahaṃkārī droṇa thā

vīro kī usakī sūcī meṃ,arjuna ke sivā kauna thā


mānā thā mādhava ko vīra,to kyo ḍarā ekalavya se

mā~ga ke aṃgūṭhā kyoṃ jatāyā pārtha bhavya hai

ratha pe sajāyā jisane kraṣṇa hanumāna ko

yoddhāo ke yuddha meṃ laḍāyā bhagavāna ko




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धर्म


कर्ण की कहानी – Karn Ki Kahani Lyrics in Hindi


सन्दीप शाहMay 11, 20230 CommentsAbhi Munde,Krishna,Mahabharat


“कर्ण की कहानी” के बोल अर्थात् लिरिक्स पढ़ें हिंदी में। इस कविता में महाभारत के दानवीर योद्धा कर्ण की कथा को बताया गया है, इस कविता के रचयिता अभी मुंडे है। पढ़ें यह अद्धभुत महाभारत कविता हिंदी मे-


पांडवो को तुम रखो, मै कौरवो की भीड से

तिलक शिकस्त के बीच में जो टूटे ना वो रीड़ मै

सूरज का अंश हो के फिर भी हुँ अछूत मै

आर्यव्रत को जीत ले ऐसा हुँ सूत पूत मै


कुंती पुत्र हुँ मगर न हुँ उसी को प्रिय मै

इंद्र मांगे भीख जिससे ऐसा हुँ क्षत्रिय मै

आओ मैं बताऊँ महाभारत के सारे पात्र ये

भोले की सारी लीला थी किशन के हाथ सूत्र थे


बलशाली बताया जिसे सारे राजपुत्र थे

काबिल दिखाया बस लोगो को ऊँची गोत्र के

सोने को पिघला कर डाला शोन तेरे कंठ में

नीची जाती हो के किया वेद का पठंतु ने


यही था गुनाह तेरा,तु सारथी का अंश था

तो क्यो छिपे मेरे पीछे ,मै भी उसी का वंश था

ऊँच नीच की ये जड़ वो अहंकारी द्रोण था

वीरो की उसकी सूची में,अर्जुन के सिवा कौन था


माना था माधव को वीर,तो क्यो डरा एकलव्य से

माँग के अंगूठा क्यों जताया पार्थ भव्य है

रथ पे सजाया जिसने क्रष्ण हनुमान को

योद्धाओ के युद्ध में लडाया भगवान को


नन्दलाल तेरी ढाल पीछे अंजनेय थे

नीयती कठोर थी जो दोनो वंदनीय थे

ऊँचे ऊँचे लोगो में मै ठहरा छोटी जात का

खुद से ही अंजान मै ना घर का ना घाट का


सोने सा था तन मेरा,अभेद्य मेरा अंग था

कर्ण का कुंडल चमका लाल नीले रंग का

इतिहास साक्ष्य है योद्धा मै निपूण था

बस एक मजबूरी थी,मै वचनो का शौकीन था


अगर ना दिया होता वचन,वो मैने कुंती माता को

पांडवो के खून से,मै धोता अपने हाथ को

साम दाम दंड भेद सूत्र मेरे नाम का

गंगा माँ का लाडला मै खामखां बदनाम था


कौरवो से हो के भी कोई कर्ण को ना भूलेगा

जाना जिसने मेरा दुख वो कर्ण कर्ण बोलेगा

भास्कर पिता मेरे ,हर किरण मेरा स्वर्ण है

वन में अशोक मै,तु तो खाली पर्ण है


कुरुक्षेत्र की उस मिट्टी में,मेरा भी लहू जीर्ण है

देख छानके उस मिट्टी को कण कण में कर्ण है


विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कर्ण की कहानी (Kahani Karn Ki) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कहानी कर्ण की (Mahabharata Poem) रोमन में–


Karn Ki Kahani Lyrics


pāṃḍavo ko tuma rakho, mai kauravo kī bhīḍa se

tilaka śikasta ke bīca meṃ jo ṭūṭe nā vo rīḍa़ mai

sūraja kā aṃśa ho ke phira bhī hu~ achūta mai

āryavrata ko jīta le aisā hu~ sūta pūta mai


kuṃtī putra hu~ magara na hu~ usī ko priya mai

iṃdra māṃge bhīkha jisase aisā hu~ kṣatriya mai

āo maiṃ batāū~ mahābhārata ke sāre pātra ye

bhole kī sārī līlā thī kiśana ke hātha sūtra the


balaśālī batāyā jise sāre rājaputra the

kābila dikhāyā basa logo ko ū~cī gotra ke

sone ko pighalā kara ḍālā śona tere kaṃṭha meṃ

nīcī jātī ho ke kiyā veda kā paṭhaṃtu ne


yahī thā gunāha terā,tu sārathī kā aṃśa thā

to kyo chipe mere pīche ,mai bhī usī kā vaṃśa thā

ū~ca nīca kī ye jaḍa़ vo ahaṃkārī droṇa thā

vīro kī usakī sūcī meṃ,arjuna ke sivā kauna thā


mānā thā mādhava ko vīra,to kyo ḍarā ekalavya se

mā~ga ke aṃgūṭhā kyoṃ jatāyā pārtha bhavya hai

ratha pe sajāyā jisane kraṣṇa hanumāna ko

yoddhāo ke yuddha meṃ laḍāyā bhagavāna ko


nandalāla terī ḍhāla pīche aṃjaneya the

nīyatī kaṭhora thī jo dono vaṃdanīya the

ū~ce ū~ce logo meṃ mai ṭhaharā choṭī jāta kā

khuda se hī aṃjāna mai nā ghara kā nā ghāṭa kā


sone sā thā tana merā,abhedya merā aṃga thā

karṇa kā kuṃḍala camakā lāla nīle raṃga kā

itihāsa sākṣya hai yoddhā mai nipūṇa thā

basa eka majabūrī thī,mai vacano kā śaukīna thā


agara nā diyā hotā vacana,vo maine kuṃtī mātā ko

pāṃḍavo ke khūna se,mai dhotā apane hātha ko

sāma dāma daṃḍa bheda sūtra mere nāma kā

gaṃgā mā~ kā lāḍalā mai khāmakhāṃ badanāma thā


kauravo se ho ke bhī koī karṇa ko nā bhūlegā

jānā jisane merā dukha vo karṇa karṇa bolegā

bhāskara pitā mere ,hara kiraṇa merā svarṇa hai

vana meṃ aśoka mai,tu to khālī parṇa hai


बालकृष्ण की आरती (Balkrishna Ki Aarti) न केवल परम हितकारी है और हृदय में भक्ति का उद्रेक करने वाली है, बल्कि इहलोक के सारे कष्टों का समूल नाश करने में भी पूर्णतः समर्थ है। बालक कन्हैया का दिव्य स्वरूप तो देवताओं को भी अति-प्रिय है। जो भी उनके इस रूप का चिंतन-मनन करता है और उनकी बाल-लीलाओं का श्रवण करता है, उसका अन्तःकरण भक्तिभाव के रस से पूर्ण हो जाता है। इसका गायन जीवन को कृष्ण-भक्ति के माधुर्य से भर देता है। भगवान तो भक्त-वत्सल हैं। उनका बाल-रूप तो और भी निराला है। उनके इस रूप को उर में धारण कर पढ़ें भगवान बालकृष्णजी की आरती–


आरती बालकृष्ण की कीजे।

अपना जनम सफल करि लीजे॥


श्री यशोदा का परम दुलारा।

बाबा की अखियन का तारा॥


गोपिन के प्राणन का प्यारा।

इन पर प्राण निछावर कीजे॥

आरती बालकृष्ण की कीजे…


बलदाऊ का छोटा भैया।

कान्हा कहि कहि बोलत मैया॥


परम मुदित मन लेत वलैया।

यह छबि नैनन में भरि लीजे॥

आरती बालकृष्ण की कीजे…


श्री राधावर सुघर कन्हैया।

ब्रज जन का नवनीत खवैया॥


देखत ही मन नयन चुरैया।

अपना सरबस इनको दीजे॥

आरती बालकृष्ण की कीजे…


तोतरि बोलनि मधुर सुहावे।

सखन मधुर खेलत सुख पावे॥


सोई सुकृति जो इनको ध्यावे।

अब इनको अपनो करि लीजे॥

आरती बालकृष्ण की कीजे…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह आरती रोमन में–


āratī bālakṛṣṇa kī kīje।

apanā janama saphala kari līje॥


śrī yaśodā kā parama dulārā।

bābā kī akhiyana kā tārā॥


gopina ke prāṇana kā pyārā।

ina para prāṇa nichāvara kīje॥

āratī bālakṛṣṇa kī kīje…


baladāū kā choṭā bhaiyā।

kānhā kahi kahi bolata maiyā॥


parama mudita mana leta valaiyā।

yaha chabi nainana meṃ bhari līje॥

āratī bālakṛṣṇa kī kīje…


śrī rādhāvara sughara kanhaiyā।

braja jana kā navanīta khavaiyā॥


dekhata hī mana nayana curaiyā।

apanā sarabasa inako dīje॥

āratī bālakṛṣṇa kī kīje…


totari bolani madhura suhāve।

sakhana madhura khelata sukha pāve॥


soī sukṛti jo inako dhyāve।

aba inako apano kari līje॥

āratī bālakṛṣṇa kī kīje…


यह भी पढ़ें


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