Tuesday, April 1, 2025

Takurji ko reachna

 "Takurji ko reachna" का भाव भक्तिभाव और आत्मसमर्पण से जुड़ा हुआ है। जब कोई भक्त ठाकुरजी (भगवान श्रीकृष्ण या अन्य ईश्वरस्वरूप) को "रीझाने" की बात करता है, तो इसका अर्थ होता है कि वे अपने प्रेम, सेवा, भजन, ध्यान, और निष्काम भक्ति से भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान का हृदय सरलता, निष्कपटता और प्रेम से रीझता है। उदाहरण के लिए:

श्रीकृष्ण गोपियों की भक्ति से रीझ गए, क्योंकि वे निश्छल प्रेम करती थीं।

सुदामा की तिनके जैसी भेंट पर श्रीकृष्ण रीझ गए, क्योंकि उसमें प्रेम और समर्पण था।

हनुमानजी की निःस्वार्थ सेवा से श्रीराम रीझ गए, क्योंकि उन्होंने कोई स्वार्थ नहीं रखा।

इसलिए, ठाकुरजी को रीझाने का सर्वोत्तम मार्ग प्रेम, भक्ति, सत्यनिष्ठा और सेवा भाव है।

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